फेंगशुई क्या है ? | |
चीन में जो वास्तु शास्त्र की पद्धति विकसित हुई उसे फेंगशुई कहा जाता है | फेंगशुई चीनी भाषा के दो शब्द फेंग और शुई से मिलकर बना है | जिसमे फेंग का अर्थ है “जल” और शुई का अर्थ है “वायु” | | |
फेंगशुई में “ची” की महत्ता है | | |
ची वह अदृश्य शक्ति है जो सभी निर्जीव और सजीव पदार्थों में पाई जाती है | निर्जीव पदार्थों में यह उस पदार्थ विशेष का निर्माण करती है | जबकि सजीव पदार्थों में यह प्राणऊर्जा के रूप में होती है | ची निराकार है अदृश्य है परन्तु अदभुत है | | |
यिन-यांग क्या है ? | |
प्रतिकूल और अनुकूल शक्तियां एकसाथ मिलकर उर्जाओं का निर्माण करती हैं | यिन और यांग ऐसी दो विरोधी शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो अपनी निरंतर क्रियाओं से एक-दूसरे पर हावी होने का प्रयास करती हैं , जहाँ एक हावी हो जाती है, वहां असंतुलन हो जाता है | कोई एक ही वस्तु यिन भी हो सकती है और यांग भी | | |
फेंगशुई द्वारा भाग्य चमकाने के लिए निम्न उपाय करें | | |
१. भवन के प्रवेश द्वार के सामने कोई वृक्ष , विधुत का खम्बा , सामने के भवन का कोना या खंडहर आदि नहीं होना चाहिए | ये सारे अवरोध ची के प्रवाह को प्रभावित करते हैं | | |
२. भवन के मुख्य द्वार का दरवाज़ा आवाज़ करते हुए नहीं खुलना चाहिए | | |
३. भवन का प्रवेश द्वार बहार की ओर खुलना चाहिए | अन्दर की ओर खुलने वाले दरवाज़े फेंगशुई के अनुसार समृद्धि नहीं लाते हैं | | |
४. भवन के अन्य कक्षों की तुलना में रसोईघर ,स्नानघर , शौचालय, प्रसाधन कक्ष के दरवाजे बड़े नहीं होने चाहिए | यदि बड़े हैं तो तो भवन के निवासी अत्यधिक व्यय से परेशान रहेंगे | |
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५. खिडकियों के दरवाजे बाहर की ओर खुलने चाहिए, इससे ची का प्रवाह अधिक होता है | और भवन में रहेने वाले व्यक्ति धनी हो जाते हैं | | |
६. भवन में मुख्य प्रवेश द्वार के अतिरिक्त अन्य द्वारों की संख्या सम होनी चाहिए | | |
७. अनुपयोगी वस्तुओं को जमा करके न रखें | | |
८. रसोई में शयनकक्ष का दरवाज़ा सीधे रूप में नहीं खुलना चाहिए | | |
९. एक सीधी लाइन में तीन या तीन से अधिक दरवाजे नहीं होने चाहिए | | |
१०. गमले तथा जानवरों की मूर्तियाँ घर में ची के प्रवेश को बढावा देती हैं | | |
११. शौचालय जितना नज़रों से ओझल रहेगा उतना ही अच्छा रहेगा | | |
१२. हँसते हुए बुद्ध की मूर्ति घर में स्थापित करें | | |
१३. भवन के मुख्य द्वार के ऊपर स्वस्तिक और ॐ के चिन्ह लगायें | | |
१४. दरवाज़े के आगे पीछे या ऊपर कैलेन्डर नहीं लगाना चाहिए | खासकर दरवाज़े के ऊपर तो बिलकुल नहीं | | |
१५. घर में प्रतिदिन नमक मिले पानी से पोंछा लगाना शुभ होता है | | |
१६. घर के मुख्य द्वार के अन्दर के हैंडल में तीन चीनी सिक्के लाल धागे में लटकाने से शुभ होता है | | |
१७. ऑफिस में बैठने के स्थान के पीछे पर्वत का चित्र लगायें | | |
१८. उन्नति के लिए उत्तर दिशा में धातु का कछुआ रखें | | |
१९. घर में जो भी फर्नीचर हो उनके कोने गोल करवा दें | | |
२०. ज्ञान वृद्धि के लिए उत्तर-पूर्व दिशा में ग्लोब रखना चाहिए | | |
२१. घर के मुखिया का चित्र दक्षिण में लगायें, उन्नति होगी | | |
२२. पुत्र या पुत्री की विवाह के लिए नैश्रत्य कोण में उनका कमरा रखें , विवाह शीघ्र हो जायेगा | | |
२३. अपनी दुकान में कैश काउंटर के पीछे दर्पण लगाकर अधिक लाभ कमा सकते हैं | | |
२४. यदि माकन के सामने शमशान ,अस्पताल या कब्रिस्तान हो तो इस दोष को दूर करने के लिए घर के किसी कोने में एक जीरो वाट का बल्ब हमेशा जलते रहना चाहिए ये बल्ब पूजागृह में जले तो ज्यादा अच्छा हो | | |
२५. घर में जल का स्त्रोत उत्तर या उत्तर-पश्चिम में ही रखें | |