| वास्तु अनुसार वेध दोष |
| १. लोग मंदिर के निकट भवन का होना अच्छा मानते हैं | किन्तु वास्तुशास्त्र के अनुसार मंदिर के भवन की कुछ स्तिथियाँ दोषपूर्ण मानी जाती हैं | |
| अ. भवन की ऊँचाई से दोगुनी दूरी तक भवन के निकट, सामने अथवा पीछे मंदिर नहीं होना चाहिए | |
| ब. यदि भवन के सामने मंदिर है तो उसकी छाया भवन पर नहीं पड़नी चाहिए | |
| स. भवन के मुख्य द्वार के सामने मंदिर नहीं होना चाहिए | |
| २. भवन के निकट या मुख्य द्वार के सामने कीचड़ नहीं होना चाहिए | |
| ३. पूर्व, उत्तर व ईशान कोण में कोई चट्टान या खम्भा नहीं होना चाहिए | |
| ४. भवन के निकट दक्षिण या पश्चिम दिशा में कोई नदी , नाला नहीं होना चाहिए | |
| ५. भवन के निकट वृक्ष इतनी दूरी पर होने चाहिए, कि उनकी छाया भवन पर न पड़े | |
| ६. भवन के मुख्य द्वार के सामने कोई बाधा नहीं होनी चाहिए | जैसे – दीवार, खम्भा, कब्र, कोई गली आदि| परन्तु यही इन बाधाओं के बीच में कोई मार्ग है तो इनका प्रभाव खत्म हो जाता है | |
