भवन के अन्दर की वास्तु इस प्रकार होनी चाहिए |
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रसोई:– रसोई आग्नेय कोण में होनी चाहिए | यदि ऐसा संभव न हो तो पश्चिम दिशा में भी बनाई जा सकती है | खाना बनाते समय , बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए | |
पूजागृह:- पूजागृह ईशान कोण , उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए | कभी भी शयन कक्ष में पूजागृह न बनायें | फर्श पीला या सफ़ेद बनायें | भवन के पूजागृह में किसी प्राचीन मंदिर से लायी मूर्ति कभी न रखें | मूर्तियाँ एक दूसरे की ओर मुख करके बिलकुल भी न रखें | |
स्वागत कक्ष:– कक्ष में भारी सामान पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखा जाना चाहिए | कक्ष में पशु-पक्षियों के चित्र, स्त्रियों के चित्र, रोते हुए बच्चे का चित्र अथवा युद्ध के चित्र नहीं लगाने चाहिए | |
शयन कक्ष:– गृह स्वामी का शयन कक्ष दक्षिण-पश्चिम कोण में अथवा पश्चिम दिशा में होना चाहिए | यदि भवन में एक से अधिक मंजिलें हैं तो गृह स्वामी का शयन कक्ष ऊपरी मंजिल पर होना चाहिए | पलंग पर सोते समय सिरहाना पूर्व अथवा उत्तर में कदापि नहीं होना चाहिए | सिरहाना पश्चिम या दक्षिण में ही रखें | |
स्नानघर एवं शौचालय:– ये दोनों दक्षिण और पूर्व की तरफ रखें | शौचालय में सीट उत्तर-दक्षिण होनी चाहिए | |