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हमारी ऊर्जा

ऊर्जा जीवन का केंद्र बिंदु है | इस संसार में हर एक वस्तु ऊर्जा से ही संचालित होती है | यदि ऊर्जा नहीं होगी तो ये संसार ही समाप्त हो जायेगा | 
ऊर्जा दो प्रकार की होती है |- सकारात्मक ऊर्जा यानि पॉजिटिव इनर्जी या विश्व शक्ति  और नकारात्मक ऊर्जा यानि नेगेटिव इनर्जी |
सकारात्मक ऊर्जा से हम संचालित होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा हमारा पतन कर देती है |
आध्यात्म के सन्दर्भ में बात करें तो आदिशक्ति, माँ दुर्गा ऊर्जा का ही स्वरुप हैं | आदिशक्ति से ही इस संसार का प्रारंभ हुआ | 
इस संसार में हर एक प्राणी में अलग-अलग ऊर्जा की मात्रा है | जिससे वो संचालित होता है | जब हमारी ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है तो हम थक जाते हैं फिर जब हम सोते हैं | तो फिर से ऊर्जा स्तर बढ़ जाता है | हम फिर से ऊर्जावान महसूस करने लगते हैं अपने को | हम फिर से चार्ज हो जाते हैं | हमारे साथ जो भी घटित हो रहा है वो हमारे अन्दर की ऊर्जा और बाहरी ऊर्जा यानि विश्वशक्ति के तालमेल से ही घटित हो रहा है | जब ऊर्जा का तालमेल बिगड़ जाता है तो हमारे सब काम बिगड़ने लगते हैं | हमारे साथ बुरा होने लगता है | और हम सोचते हैं कि अचानक ये क्या हो गया अभी तक तो सब ठीक था | हम जान ही नहीं पाते कि क्या हुआ और इसका समाधान क्या है |
अब प्रश्न ये उठता है अचानक ऊर्जा का स्तर कम कैसे हो गया और विश्वशक्ति से तालमेल बिगड़ गया, और नकारात्मक ऊर्जा चारों तरफ आ गयी | इसके कई कारण हो सकते हैं | आईये जाने –

१.  आपके ग्रहों में ऐसे परिवर्तन होना कि सकारात्मक ऊर्जा जो अब तक मिल रही थी अब नहीं मिल रही हो |

२.  आपने कोई ऐसा कार्य आरंभ किया है जिसमे ज्यादा ऊर्जा व्यय हो रही है और उतनी ऊर्जा की भरपाई नहीं हो पा रही है |

३.  आपने अपना स्थान परिवर्तन किया हो घर या ऑफिस, जहाँ नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा है और सकारात्मक ऊर्जा बहुत कम | जिसकी वजह से लगातार सकारात्मक ऊर्जा का कम होना |

४.  लगातार किसी बुरे ख्याल या किसी नकारात्मक चीज़ के बारे में सोंचना |

५.  किसी ऐसे व्यक्ति से मिलना जो नकारात्मक से भरा हुआ है, और हमेशा नकारात्मक बातें करता है |

६.  अत्यधिक चिंता करना | ज्यादा चिंता करने से ऊर्जा बहुत तेज़ी से नष्ट होती है |

नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने और सकारात्मक ऊर्जा घटने से – अवसाद, चिडचिडापन , असफलता , काम में मन न लगना , कोई काम न बनना इत्यादि कुछ भी हो सकता है , जो आपको कष्ट देगा |

कारण कुछ भी हो उद्देश्य एक ही है कि जब तक हम सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को सही नहीं करेंगे तब तक कुछ भी सही नहीं होगा | यदि हमें रोगों से बचना है, सुख से जीना है तो हमें अपने अन्दर की ऊर्जा का तालमेल बाहर की ऊर्जा से बनाना ही होगा |

अब अगला प्रश्न ये उठता है कि हम कैसे सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को ठीक करें | आईये जानें —

१.  सबसे पहले तो किसी भी ऐसे व्यक्ति के पास बैठना या बात करना बंद करें, जो नकारात्मकता से भरा हुआ है |

वैज्ञानिक विश्लेषण :– ऐसे व्यक्ति के पास बैठने से उसकी नकारात्मक ऊर्जा हमारे अन्दर प्रवेश करने लगती है |

२.  घर में मंदिर की स्थापना करें, यदि नहीं है तो | उसमे नित्य पूजा होनी चाहिए , धूपबत्ती लगनी चाहिए , पूजा करते समय घंटी पूरे घर में हर एक जगह  अवश्य बजनी चाहिए और किसी भी भगवान की चालीसा या मंत्र जरुर पढना चाहिए | और रोज शाम को मंदिर में एक देसी घी का दिया जलना चाहिए |

वैज्ञानिक विश्लेषण :– धूपबत्ती और दिया जलने से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है | और चारों तरफ घंटी बजने से ऊर्जा का प्रवाह होता है | कोई भी मंत्र, चालीसा या आरती पढ़ने से हमारे अन्दर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है | 

३.  हमेशा अच्छा सोचना शुरू करें , लोग कहेते हैं अच्छा सोचने से क्या होता है ? अच्छा सोचने से हमारे अन्दर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होता है |

वैज्ञानिक विश्लेषण :– हम जो कुछ भी सोचते हैं उसका एक ऊर्जा चक्र हमारे चरों तरफ उत्पन्न हो जाता है | हम जैसा सोचेंगे वैसा ही ऊर्जा चक्र बनेगा | अच्छा सोचेंगे तो सकारात्मक ऊर्जा चक्र बनेगा और ऊर्जा का स्तर बढेगा |

४.  जब भी समय मिले किसी भी मंदिर में जाएँ | मंदिर एक ऐसी जगह है जहाँ सकारात्मक ऊर्जा का भंडार मौजूद है | हाँ लेकिन मंदिर में सिर्फ प्रशाद चढ़ाकर नहीं लौटना है | वहां कुछ समय बैठकर भी बिताना है | इससे भी सकारात्मक ऊर्जा का स्तर बढ़ता है |

वैज्ञानिक विश्लेषण :– हमारे चारों तरफ जिस ऊर्जा की अधिकता होती है | हमारा शरीर उसी ऊर्जा को अवशोषित करना शुरू कर देता है | और वो ऊर्जा हमारे अन्दर जाने लगती है | मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा की बहुतायत होती है | आप कुछ मत करिए सिर्फ कुछ समय मंदिर में बैठकर व्यतीत करिए ,बाकी सब अपने आप हो जायेगा |

५. घर में दीवारों पर ऐसे चित्र लगाईये जिसमे हंसी हो , ख़ुशी हो , उत्साह हो |

वैज्ञानिक विश्लेषण:–  इससे हमारे मस्तिष्क और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा |

६. यदि कोई ग्रह दशा ख़राब हो गयी है ,तो उस ग्रह से सम्बंधित उपाय करने से ही ऊर्जा स्तर सही होगा |

वैज्ञानिक विश्लेषण:– जैसे सूर्य की किरने हमारे ऊपर पड़ती हैं ,वैसे ही सरे ग्रहों की किरणें हमारे ऊपर पड़ती हैं | सूर्य की किरणें हम महसूस कर सकते हैं क्यों की वो गर्म होती हैं |बाकी ग्रहों की किरणें ठंडी होती हैं | इसलिए हम महसूस नहीं कर सकते | अब यदि ठण्ड के मौसम में सूर्य की किरणें हम पर पड़ती हैं तो अच्छी लगती हैं , परन्तु गर्मी के मौसम में वही किरणें हमें जलाने लगती हैं | कहने का तात्पर्य ये है कि स्तिथियाँ बदलती रहती हैं | कभी किसी गृह की ऊर्जा सकारात्मक पड़ती है तो कभी नकारात्मक | ये हर इंसान के लिए अलग -अलग होती हैं | एक ही समय में किसी एक गृह की ऊर्जा एक इंसान के लिए अच्छी होगी तो दूसरे के लिए बुरी | इसका पता हम उस व्यक्ति की कुण्डली को देखकर लगा सकते हैं | और उसको सही कर सकते हैं |

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