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रत्न ज्योतिष

कहते हैं | रत्न जड़ित अंगूठी पहनने से रंक भी राजा हो जाते हैं | हममें से अधिकतर लोग यही समझते हैं कि जितना महंगा रत्न होगा, उतनी ही उन्नति हम करेंगे | या कुछ लोग मानते हैं कि यह तो एक मात्र आभूषण है जो पसंद हो पहन लो | ऐसी ही कई भ्रांतियां चारों तरफ रत्नों को लेकर फैली हुई हैं |
परन्तु सच्चाई कुछ और ही है | न तो ऐसे ही किसी भी रत्न को पहनने से उन्नति होती है, और न ही ये मात्र सजने के लिए आभूषण ही हैं |
रत्न तो वो ऊर्जा हैं जो यदि सही चुने जाएँ तो बहुत अच्छा वरना कुछ भी हो सकता है | इसलिए रत्नों का चयन बहुत सावधानी से करना चाहिए , किसी योग्य ज्योतिषी के द्वारा |
अब आपके मन में ये प्रश्न आ रहा होगा कि रत्न आखिर काम कैसे करते हैं | 

तो आइये जानें-

वैसे तो हमारे सौरमंडल में बहुत सारे ग्रह हैं पर 10 ग्रह ऐसे हैं जो ज्योतिष विज्ञान के अनुसार हमारे पुरे जीवन का निर्धारण करते हैं और वो ग्रह हैं –
सूर्य 
बुध 
ब्रहस्पति 
शुक्र 
शनि 
चन्द्र 
मंगल 
राहु 
केतु 
पृथ्वी |
इन सभी ग्रहों से किरणें हमारे ऊपर पड़ती हैं | जिनमें सूर्य को छोड़कर बाकी किसी भी ग्रह की किरणें हम महसूस नहीं कर सकते क्योंकि सूर्य को छोड़कर बाकी सब ग्रहों की किरणें ठंडी होती हैं | सारे ग्रहों के लिए अलग-अलग रत्नों का निर्धारण किया गया है |
हमें रत्नों को तभी धारण करना चाहिए जब कोई ग्रह कुंडली में कमज़ोर हो गया हो न कि अनिष्ट हो गया हो |
क्योंकि रत्न किसी भी ग्रह की शक्ति को बढ़ाते हैं चाहे वो सकारात्मक हो या नकारात्मक | वो शक्ति को बढ़ाते हैं |अब यदि कोई ग्रह अनिष्ट है तो उसकी नकारात्मक किरणें हमारे ऊपर पड़ती हैं और यदि हमने उस ग्रह का रत्न पहन लिया तो वो नकारात्मक शक्ति को बढ़ा देगा | और हमारी परेशानियाँ और बढ़ जाएँगी |
यदि ग्रह कमज़ोर है तो उसकी सकारात्मक शक्ति तो हमें मिलती है ,परन्तु वो बहुत कम होती है | तब हमें उस ग्रह से सम्बंधित रत्न धारण करना चाहिए , जो सकारात्मक शक्ति को बढ़ा देगा | कोई ग्रह कमज़ोर है या अनिष्ट ये हम किसी भी व्यक्ति की कुंडली को देखकर जान सकते हैं |

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