भूमि परीक्षण |
भूमि का परीक्षण करना आवश्यक है | ये दो प्रकार से होता है | |
१. भूखण्ड के उत्तर दिशा के कोण में लगभग डेढ़ फुट गहरा व चौड़ा गड्ढा खोदें और उसमे से सारी मिट्टी निकालकर उस निकाली गयी मिट्टी से गड्ढे को पुनः भरें | यदि गड्ढा भरने पर मिट्टी शेष बचती है अर्थात अधिक निकलती है तो वो भूमि अच्छी है | ऐसी भूमि पर भवन निर्माण बहुत शुभ फलदायी होगा | यदि मिट्टी शेष नहीं बचती और पूरी पड़ जाती है तो भूमि मध्यम होगी | इस पर भी भवन निर्माण किया जा सकता है | अब यदि मिट्टी न तो शेष बचती है और नाही पूरी पड़ती है बल्कि कम पास जाती है तो वो भूमि भवन निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं है | |
२. जिस भूमि का परीक्षण करना हो, उसमे डेढ़ फुट गड्ढा खोदकर उस गड्ढे में ऊपर तक पानी भर दीजिये | और फिर दो मिनट बाद देखिये यदि पानी जितना भरा था उतना ही हो तो भूमि भवन निर्माण के लिए अतिउत्तम है | यदि पानी आधा बचता है तो भूमि पर निर्माण कराया जा सकता है | परन्तु यदि गड्ढा पूरा सूख गया है और बिलकुल नहीं बचा है तो ऐसी भूमि पर भवन निर्माण बिलकुल भी नहीं करना चाहिए | |