आध्यात्मिक जगत में रुद्राक्ष की महिमा अपार है | यह फल अनेकानेक चमत्कारिक प्रभावों से युक्त है | इसके धारण करने वाले व्यक्ति को शिव आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है | रुद्राक्ष की उपयोगिता जितनी आध्यात्मिक जगत में है,उतनी ही लौकिक जीवन में भी है | रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य का मन ,चित्त ,बुद्धि और ह्रदय नियंत्रित और पवित्र बनता है | उसके पाप नष्ट होते हैं | जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण कर रुद्राक्ष माला से इष्ट देव का जप करता है उसे बहुत पुण्य प्राप्त होता है | रुद्राक्ष माला से नियमानुसार जप करने से अशांत मन को शांति प्राप्त होती है |
रुद्राक्ष को 9,18 ,27, 36, 54 अथवा 108 दानों की संख्या में स्वर्ण अथवा चांदी के तार में अथवा लाल धागे में पिरोकर शोधित तथा निर्धारित मन्त्रों से अभिमंत्रित कर किसी शुभ एवं अनुकूल मुहूर्त में सोमवार ,अमावस्या ,पूर्णिमा अथवा ग्रहणकाल के दौरान धारण करना चाहिए | रुद्राक्षों को अभिमंत्रित करने से पूर्व नारियल के पानी में 24 घंटे भिगोकर रखें तत्पश्चात पंचामृत से रुद्राक्षों को धोकर गंगाजल से साफ़ कर लेना चाहिए |
प्रत्येक रुद्राक्ष के ऊपर धारियां बनी रहती हैं | इन धारियों को ही रुद्राक्ष का मुख कहते हैं | उक्त धारियों की संख्या 1 से लेकर 14 तक की संख्या में हो सकती है | इन्ही धारियों को गिनकर रुद्राक्ष का वर्गीकरण 1 से 14 मुखी तक किया जाता है | जितनी धारियां होंगी वह उतना ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है |उदाहराणार्थ –यदि किसी रुद्राक्ष दाने पर पांच धारियां बनी हैं तो वह पांच मुखी कहलाता है .14 मुखी के उपरांत यानी 15 मुखी से 21 मुखी की उत्पत्ति दुर्लभ मानी जाती है |
एक मुखी रुद्राक्ष
यह स्वयं भगवान् शिव का स्वरुप है | एक मुखी रुद्राक्ष पर शिवलिंग ,ॐ ,त्रिशूल ,नाग इत्यादि प्राकृतिक रूप से चिन्हित हो सकते है | इस रुद्राक्ष की प्राप्ति अत्यन्त दुर्लभ है | इसको धारण करने वाला सौभाग्यशाली होता है | इस रुद्राक्ष को स्वर्ण धातु में मढ़वाकर मृगशीर्ष नक्षत्र में धारण करना शुभ फलकारक माना जाता है |